हरियाणा में राज्यसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर पूर्व सीएम भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई बीजेपी के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं। शनिवार को कुलदीप बिश्नोई ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले और अपने मन की बात कही। कुलदीप बिश्नोई के साथ उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई भी मौजूद रही। कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा की राजनीति को लेकर चर्चा की। कुलदीप बिश्नोई ने राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए जेपी नड्डा के सामने अपनी डिमांड रखी।
नड्डा से मुलाकात के बाद कुलदीप बिश्नोई आज हिसार लौटेंगे। इससे पहले कुलदीप बिश्नोई 17 जून को गृह मंत्री अमित शाह, 18 जून को केन्द्रीय मंत्री एवं हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रभारी धमेंद्र प्रधान, 20 जून को भाजपा के प्रदेश प्रभारी विप्लब देव और 21 जून को केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व CM मनोहर लाल से खट्टर से मुलाकात कर चुके हैं। सबसे अंत में मनोहर लाल और जेपी नड्डा से हुई मुलाकात को अहम माना जा रहा है।
गैर जाट चेहरे के रूप में पेश कर रहे दावेदारी
कुलदीप बिश्नोई भाजपा में गैर जाट चेहरे के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनके पिता चौधरी भजनलाल हरियाणा के पूर्व CM रह चुके हैं और प्रदेश में गैर जाट सीएम के रूप में उनकी पहचान थी। गैर जाट वोटर ही भाजपा की प्रदेश में ताकत माने जाते हैं ऐसे में कुलदीप इस वोट बैंक को जोड़े रखने में सहायक बनना चाहते हैं और अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं।
हरियाणा के 3 बार मुख्यमंत्री रहे स्व. चौ. भजनलाल के समय प्रदेश का संपूर्ण नॉन जाट वोट बैंक उनके साथ था, जो बाद में कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हजकां के साथ लामबंद्ध रहा और 2011 से 2014 तक हजकां और भाजपा के गठबंधन के बाद यह वोट बैंक 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गया और पिछले 10 वर्षों से राज्य में इसी वोट बैंक के बलबूते पार्टी की सरकार है, मगर गत लोकसभा चुनाव परिणाम से साफ है कि पार्टी की अपने इस कोर नॉन जाट वोट बैंक पर पकड़ ढीली पड़ रही है।
एक प्रतिशत बिश्नोई वोटर वाले नेता रहे 3 बार सीएम
चौ. भजनलाल हरियाणा में मात्र 1 प्रतिशत बिश्नोई होते हुए भी सबसे लंबे समय तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। हरियाणा के सभी 79 प्रतिशत नॉन जाट जातियों को साथ लेकर साथ चले। बिश्नोई परिवार का दावा है कि उनका हरियाणा के हर गांव में कार्यकर्ता है और सभी गैर जाट जातियों पर उनकी मजबूत पकड़ है।बता दें कि हरियाणा में 2 बार लोकसभा सांसद और 4 बार विधायक रह चुके कुलदीप बिश्नोई आज तक किसी बड़े संवैधानिक पद पर नहीं रहे हैं।
हरियाणा की राजनीति में सात दिन महत्वपूर्ण
हरियाणा के कद्दावर नेताओं में से एक कुलदीप बिश्नोई दिल्ली में अचानक ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। हरियाणा की राजनीति के लिए यह एक सप्ताह काफी अहम माना जा रहा है। हरियाणा में राज्यसभा से लेकर प्रदेशाध्यक्ष पद का चुनाव भी है।
वहीं आगामी 3 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव है ऐसे में कुलदीप बिश्नोई ना केवल अपने परिवार के लिए बल्कि अपने समर्थकों के लिए विधानसभा में टिकट दिलवाने के लिए जोर लगा रहे हैं। कुलदीप बिश्नोई के करीबी बताते हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुलदीप 8 से 10 विधानसभा सीटों की डिमांड कर रहे हैं।
इन विधानसभा सीटों में हिसार, नलवा, हांसी, बवानीखेड़ा, बरवाला, आदमपुर, फतेहाबाद, सिरसा और भिवानी की सीटें शामिल हैं। कुलदीप की नजर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी टिकी है। वहीं कुलदीप समर्थक भी उन पर लगातार टिकट दिलवाने या फिर निर्दलीय चुनावों में ताल ठोकने का दवाब बना रहे हैं।
सरकार में 16 साल से पद से दूर बिश्नोई परिवार
इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार से बिश्नोई परिवार एक बार फिर सत्ता सुख से दूर हो गया है। अगर रणजीत चौटाला चुनाव जीतते तो उनका बिजली मंत्री का पद भव्य को मिल सकता था। मगर रणजीत की हार ने भव्य बिश्नोई को मंत्री पद से दूर कर दिया।
हरियाणा में बिश्नोई परिवार 16 साल से सरकार में पद से बाहर है। 2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के डिप्टी सीएम पद पर रहे। इसके बाद निजी कारणों से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद से आज तक बिश्नोई परिवार को सरकार में कोई पद नहीं मिला है।
इसलिए कुलदीप को दर-दर जाना पड़ रहा
1. हिसार लोकसभा से कुलदीप बिश्नोई टिकट मांग रहे थे। मगर भाजपा ने उनका टिकट काटकर चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को टिकट दे दिया। यहां उनका दावा कमजोर पड़ गया। इस बात से कुलदीप बिश्नोई नाराज हो गए थे। इसके बाद पहले पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर और फिर सीएम नायब सैनी ने प्रदेश महामंत्री सुरेंद्र पूनिया के साथ उन्हें मनाया। इसके बाद उन्होंने रणजीत के लिए आदमपुर में वोट मांगे लेकिन जितवा नहीं पाए।
2. कुलदीप बिश्नोई के समर्थक लगातार उन पर भाजपा छोड़ने का दवाब बना रहे हैं मगर कुलदीप और उनका परिवार भाजपा में ही रहना चाहते हैं। वह आगामी विधानसभा चुनाव में समर्थकों को टिकट दिलवाने के लिए जोर लगा रहे हैं। कुलदीप को लोकसभा में टिकट नहीं मिलने से ही कुलदीप समर्थक नेता भाजपा से नाराज हैं और लगातार दवाब बना रहे हैं।
3. कुलदीप बिश्नोई की एंट्री के बाद दो राजनीतिक घरानों जिंदल परिवार और बंसीलाल परिवार की भाजपा में एंट्री हो गई है। इस कारण उनका भाजपा के ऊपर समर्थकों के लिए ज्यादा से ज्यादा टिकट मांगने का दवाब हैं। जिंदल परिवार हिसार और कुरूक्षेत्र में अपने समर्थकों और किरण चौधरी भिवानी और अन्य सीटों पर अपने समर्थकों के लिए भी टिकट मांग सकते हैं।
NEWS SOURCE : chopaltv