फरीदाबाद: पुलिस आयुक्त सौरभ सिंह के दिशा निर्देश, पुलिस उपायुक्त साइबर अपराध उषा के मार्गदर्शन व एसीपी साइबर क्राइम अभिमन्यु गोयत के नेतृत्व में कार्रवाई करते हुए फरीदाबाद पुलिस के साइबर थाना की टीमों ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में सोलंकी मासुम मनोज कुमार, पार्थ कुमार रमेश भाई मेहता, राज वर्मा, अभिषेक, अकिंत, वरुण, शंकु चुटेला और शोएब खान का नाम शामिल है। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को दिल्ली एनसीआर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश इत्यादि स्थानों से गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने अधिक जानकारी देते बताया कि साइबर थानों की टीमों ने 05 मुकदमों को सुलझाते हुए 08 आरोपीयों को गिरफ्तार किया है। जिसमें साइबर थाना सेंट्रल के 03 और साइबर थाना बल्लबगढ़ के 02 मामले शामिल है। आरोपियों से मुकदमों में 19,20,000/- बरामद किए गए हैं इसके साथ ही 119 शिकायतों का निस्तारण करते हुए 2,07,409/- रुपए रिफंड कराए गए है तथा 48,874/- रुपए बैंक खातों में सीज करवाए।
आजकल के आधुनिक/तकनीकी दौर में लोगों को अलग-अलग तरह से ऑनलाइन सुविधाएं मिल रही है। जिसके माध्यम से लोग अपने ज्यादातर काम कर रहे हैं। साइबर अपराधी भी इसका फायदा उठा कर लोगो को साइबर अपराध का शिकार बनाते है। साइबर ठगी के लिए साइबर अपराधी लोगों को विभिन्न प्रकार से लालच देते हैं, जिनमें से कुछ बडे़ प्रकार टेलीग्राम टास्क फ्रॉड, इन्वेस्टमेंट फ्रॉड, कस्टमर केयर अधिकारी बनकर फ्रॉड, लोन फ्रॉड, अश्लील वीडियों बनाकर ब्लैकमेल करके, QR, UPI ,लोगों के खाते में बहाने से पैसे डलवाने का लालच देना, बैक अधिकारी बनकर ओटीपी प्राप्त करना तथा कस्टम व पुलिस अधिकारी बनकर गिरफ्तारी का भय दिखाकर ठगी करना प्रमुख है।
आजकल डीजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) की धमकी देकर साइबर ठगी के मामले लगातार सामने आ रहे है-
डिजिटल अरेस्ट-
इस प्रकार के मामले में साइबर ठग कस्टम, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई व पुलिस अधिकारी बनकर पुरे आत्मविश्वास से बात करते हैं। जब आप इनसे WhatsApp या Skype कॉल पर कनेक्ट होते हैं, तो इनके ऑफिस आपको पूरी तरह से असली जैसे लगेगे। साइबर ठग पीडित को भावनात्मक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं।
कैसे देते है वारदात को अंजाम-
साइबर ठग आपसे WhatsApp पर कॉल करता है और अपने आपको कस्टम, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई व पुलिस अधिकारी बतलाकर पीडित को मनी लॉन्ड्रिंग, NDPS इत्यादि के मामलो में सम्मिलित होने की धमकी देकर पीडित को Skype कॉल पर कनेक्ट कर अपने आपको अधिकारी रुप में प्रस्तुत करके बात करतें है और फिर पीडित से उसकी निजी जानकारी भी प्राप्त कर लेते है।
साइबर ठग पीडित पर ह्युमन ट्रैफिकिंग का भी आरोप लगाते है। सीबीआई अधिकारी बनकर अरेस्ट वारंट जारी होने की बात भी कहते है और अदालत से संबंधित दस्तावेज भेजते है। जिसमें पीडित को आधार नम्बर और नाम के साथ गिरफ्तार करने बारे दिखाया जाता है।
साइबर ठगो द्वारा पीडित को कॉल पर रखा जाता है और कॉल को डिस्कनेक्ट न करने बारे कहते है, इस दौरान पीडित को एकांत स्थान पर रहने के लिए कहा जाता है और किसी से भी संपर्क ना करने बारे बोला जाता है। पीडित पर कानूनी बातों के दावपेंच लगाकर अपने जाल में फसा लेते है। उनकी बाते सुनकर पीडित परेशान हो जाता है आरोपियो के जाल में फस जाता है और घरवालो/दोस्तों से बातचीत करने की बजाए परेशानी से निकलने के लिए साइबर ठग को पैसे देने के लिए राजी हो जाता है।
डिजिटल अरेस्ट के बचाव-
1. डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती है।
2. कोई भी अधिकारी या संस्था आपको फोन, ईमेल या मैसेज के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट करने का दावा नहीं कर सकती।
3. किसी भी कानून या अधिनियम में डिजिटल अरेस्ट का प्रावधान नहीं है।
4. कोई भी जांच एजेंसी आपको इस प्रकार की धमकी देकर पैसे नहीं मांग सकती और ना ही आपको डिजिटल अरेस्ट कर सकती है।
सावधान और सतर्क रहें:-
यदि आपको इस प्रकार का कोई कॉल, मैसेज या ईमेल प्राप्त होता है तो:
तुरंत सतर्क हो जाएं और कोई भी निजी जानकारी साझा न करें।
धमकी देने वाले व्यक्ति से बातचीत न करें।
इस प्रकार की घटनाओं की सूचना तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर दें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स और ईमेल को सुरक्षित रखें।
अनजान लिंक पर क्लिक न करें और किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज का जवाब न दें।
ओटीपी (OTP) या बैंक संबंधित जानकारी किसी से साझा न करें।