चंडीगढ़ : लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा में बड़ा सियासी फेरबदल देखने को मिला जहां मनोहर लाल समेत पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद नायब सैनी को हरियाणा का नया सीएम बनाया गया। उन्होंने पांच मंत्रियों के साथ शपथ ली थी। जिसके बाद एक हफ्ते बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। जेजेपी से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा ने निर्दलीयों के सहारे सरकार बनाई है। सरकार बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 5 निर्दलीय विधायकों को मंगलवार को नायब सैनी ने अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी। इसकी 3 बड़ी वजह सामने आई हैं।
- हरियाणा में सरकार बचाने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा सरकार में शामिल निर्दलीय विधायकों को आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट का भरोसा दिया है। पार्टी के सूत्रों ने बताया है कि लोकसभा के तुरंत बाद ही विधानसभा चुनाव हैं।
- दूसरी सबसे अहम वजह निर्दलीय विधायकों में आपस की फूट भी रही। मंत्री पद के लिए निर्दलीय विधायकों में आपस में एक राय नहीं बन पाई, जिसका फायदा भाजपा ने उठाया।
- तीसरा सरकार में जगह न लेने के लिए कुछ निर्दलीय इसलिए भी इच्छुक नहीं थे, क्योंकि नायब सरकार का कार्यकाल ही 6 महीने का बचा है। अभी लोकसभा चुनाव के कारण 3 महीने आचार संहिता में निकल जाने हैं। इसके बाद जून, जुलाई और अगस्त में ही सरकार काम कर पाएगी।इसके बाद फिर सितंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में विधानसभा के लिए आचार संहिता लग जाएगी। सिर्फ 3 महीने के लिए कुछ निर्दलीय सरकार में शामिल नहीं हुए।
इन 6 निर्दलीय विधायकों ने बचाई भाजपा की सरकार
हरियाणा में भाजपा की सरकार बचाने में 6 निर्दलीय विधायकों ने अहम भूमिका निभाई है। इनमें पृथला से विधायक नयन पाल रावत, नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर, पुंडरी विधानसभा से रणधीर सिंह गोलन, बादशाहपुर से विधायक राकेश दौलताबाद और दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान, रानियां से रणजीत सिंह चौटाला शामिल हैं। इसके अलावा हलोपा विधायक गोपाल कांडा का नाम भी शामिल है।
NEWS SOURCE : punjabkesari