चंडीगढ़ : हरियाणा में मनोहर सरकार के दौरान कैबिनेट बैठक के एक फर्जी पत्र से गुरुग्राम की बेशकीमती जमीन रिलीज करने का मामला सामने आया है। इस पत्र के बाहर आते ही सरकार और अफसरशाही में हड़कंप मच गया है। दरअसल 3 दिन पहले इस मामले की शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास पहुंची थी।
कैबिनेट का पत्र देखकर पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर खुद हैरान रह गए और उन्होंने आनन-फानन में मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद से जानकारी ली। बताया गया कि मुख्य सचिव ने जब मंत्रिमंडल शाखा के कर्मचारियों से बात की तो पता चला कि उक्त कैबिनेट बैठक का पत्र पूरी तरह से फर्जी है। पत्र में कैबिनेट शाखा के अधीक्षक का हस्ताक्षर भी फर्जी किया गया था। मुख्य सचिव के आदेशों के बाद इस मामले में सचिवालय के 3 कर्मियों से पूछताछ की गई, जिसमें मामले से जुड़े लोगों की जानकारी सामने आ गई है। इस प्रकरण में गुरुग्राम के अलावा पंचकूला के एक प्रॉपर्टी डीलर की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। फिलहाल गुरुग्राम पुलिस और पंचकूला पुलिस अब मामले की जांच में जुट गई है।
सचिवालय के 3 कर्मचारियों से हुईं पूछताछ
इस फर्जीवाड़े का खुलासा एक ओर जहां पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास पहुंची शिकायत से हुआ तो वहीं सचिवालय के 3 कर्मचारियों के पास भी फर्जी पत्र पहुंचा हुआ था। बताया गया है कि हाऊसिंग फॉर ऑल में तैनात एक वरिष्ठ कर्मचारी ने गृह विभाग में तैनात एक कर्मचारी को व्हाट्सअप पर पत्र भेज कर उसके कागजात निकलवाने को कहा। जब उक्त कर्मचारी कैबिनेट शाखा के अधीक्षक के पास कैबिनेट का पत्र लेकर पहुंचा तो उसे देखते ही उनके होश उड़ गए।
अधीक्षक ने अपने हस्ताक्षर नहीं होने की बात कहते हुए इसकी जानकारी मुख्य सचिव को दी। जब कर्मचारियों के तार जोड़े गए तो पता चला कि हाऊसिंग फॉर ऑल में तैनात कर्मचारी को उसके हिसार के एक दोस्त ने कैबिनेट मीटिंग संबंधी दस्तावेज निकलाने के लिए कहा था। हिसार के उक्त व्यक्ति ने पूछताछ में बताया कि गुरुग्राम के उसे एक दोस्त ने दस्तावेज मंगवाने को कहा था। लिहाजा मुख्य सचिव ने तत्काल प्रभाव से गुरुग्राम के पुलिस आयुक्त को जांच करने के लिए जहां उक्त तीनों कर्मचारियों से पूछताछ की गई, जिसमें गुरुग्राम के एक व्यक्ति के नाम का खुलासा हुआ है।
ऐसे तैयार की गई 500 करोड़ की जमीन हथियाने की पटकथा
दरअसल गुरुग्राम के बादशाहपुर और राजीव चौक क्षेत्र की बेशकीमती जमीनों को रिलीज करने के लिए कैबिनेट बैठक का एक फर्जी पत्र तैयार किया। इसमें 15 और 21 दिसम्बर 2023 की तारीख थी जबकि इस दौरान कोई बैठक हुई नहीं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में नवम्बर में कैबिनेट बैठक हुई थी। इस फर्जीवाड़े का खुलासा कैबिनेट नोट पढ़ने के बाद हुआ जिसमें उक्त नोट में मुख्यमंत्री और एफ. सी. आर. दोनों के पद लिखे गए थे जबकि कैबिनेट बैठक के सिस्टम में कैबिनेट बैठक का नोट वरिष्ठता के हिसाब से लिखा जाता है लेकिन उसमें उसके विपरीत लिखा गया था। सूत्रों की मानें तो फर्जी पत्र तैयार करने वाले लोग राजस्व विभाग के स्थानीय कर्मचारियों से मिलीभगत कर जमीन की रजिस्ट्री करवाने की तैयारी में थे। लेकिन इससे पहले इसका खुलासा होने से उनके अरमानों पर पानी फिर गया।
NEWS SOURCE : punjabkesari