Haryana Accident News Update: नारनौल के गांव उन्हाणी के पास वीरवार को हुए हादसे (Mahendragarh Accident Update) में स्कूल, जिला प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग और क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण की खामियां सामने आने लगी हैं। प्रदेश के 14 जिलों में 14,124 स्कूली बसें पंजीकृत हैं जिसमें से 3553 का डाटा क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण के पास है। इसमें से 524 अनफिट बसें नौनिहालों को लेकर सड़कों पर दौड़ रही हैं।
10571 बसों के पास रिकॉर्ड अपडेट नहीं
वहीं, 10571 बसों के बारे में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण का रिकॉर्ड अपडेट नहीं है। ऐसे में सवाल उठता हैं कि सख्ती हुई तो संबंधित विभाग के अधिकारी खामियां छुपाने में लग गए हैं। नियमानुसार स्कूल बसों का 10 साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है और पहले आठ साल तक हर दो साल में पासिंग करवा फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होता है। यह कार्रवाई आरटीए विभाग के तहत होती है। पासिंग का शुल्क बड़े वाहनों का 800 रुपये और छोटे वाहनों का 600 रुपये तय है। इतना कम शुल्क होने के बावजूद स्कूल संचालक बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं ले रहे। इसके पीछे कारण बसों में कमी बताई जा रही है।
RTA के पास है स्कूलों बसों की जांच का जिम्मा
स्कूल संचालकों को लगता है कि रैलियों, कार्यक्रमों, परीक्षाओं में बसों की जरूरत होती है। स्कूल बसों की जांच की मुख्य जिम्मेदारी आरटीए विभाग के पास होती है। अक्सर राजनीतिक दलों की रैलियों, विभिन्न बड़े कार्यक्रमों, एचएसएससी की विभिन्न परीक्षाओं में स्कूल बसों की मदद लेनी पड़ती है। इस कारण अब संबंधित विभागों के अधिकारी भी स्कूल संचालकों पर मेहरबान हैं। अधिकारियों का कहना है कि हमें भी इनकी जरूरत पड़ती है।
NEWS SOURCE : jagran