Pinaka Times: कबीरा इस वक्त देश लोकसभा चुनाव के रंग में रंगा हुआ है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने जहां हरियाणा में अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। वहीं कांग्रेस आपसी खींचतान में ही लगी हुई है। भारतीय जनता पार्टी ने 13 मार्च को फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से दो बार विजयी रहे कृष्णपाल गुर्जर को अपना लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया है। वही एक महीना सात दिन बीत जाने के बाद भी कांग्रेस अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। राजनीतिज्ञो का कहना है कि इसका कांग्रेस को बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है। क्योंकि एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जो पिछले लोकसभा चुनाव में पूरे देश में तीसरे नंबर पर सबसे बड़ी लीड लेकर विजयी हुए थे। वह चुनाव प्रचार में लगे हुए है। वहीं कांग्रेस अभी तक आपसी खींचतान के चलते अपना प्रत्याशी तक घोषित नहीं कर पाई। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसका कही ना कही कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है।
पुत्र मोह में उलझा पेंच
कबीरा जब कल बाजार में गया तो उसने सुना कि कांग्रेस अभी भी पुत्र मोह में उलझी हुई है। अब एक तरफ भारतीय जनता पार्टी जहां खुलकर प्रचार कर रही है। वहीं कांग्रेस पुत्र मोह में उलझी हुई है। हरियाणा कांग्रेस खुद हरियाणा कांग्रेस की दुश्मन बनी हुई है। लोगों में चर्चा है कि एक तरफ हुडा गुट दूसरी तरफ शैलजा गुट अपनी गुटबाजी में लगा हुआ है। ऐसे में दिग्गज नेताओं की भी चर्चाए ज़ोरो पर है। लोग दबी ज़ुबान में कहते हुए नजर आए की किरण चौधरी, कुलदीप शर्मा और अभी-अभी भारतीय जनता पार्टी छोड़कर आए वीरेंद्र सिंह अपने उत्तराधिकारी की टिकट मांग रहे हैं। जबकि पार्टी आलाकमान इन्हें ही मैदान में उतारने का सोच रही है। जिसके चलते पूरे हरियाणा में पेच फंसा हुआ है। किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी के लिए टिकट की दावेदारी पेश कर रही है। वहीं दोनो दिग्गज नेता अपने बेटों के लिए टिकट मांग रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी आलाकमान अपनी बात पर टिकी रहती है या यह लोग अपनी बात मनवाने में कामयाब हो जाते है। लेकिन फैसला जो भी हो नुकसान कहीं ना कहीं फरीदाबाद में कांग्रेस के उम्मीदवार को झेलना पड़ेगा।
कैसे करेंगे चुनाव प्रचार
अब मतदान के लिए महज़ एक महीना और चार दिन बचे हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी कैसे चुनाव प्रचार कर पाएंगे। फरीदाबाद लोकसभा की बात करें तो दिल्ली बार्डर से लेकर करमन बार्डर तक फरीदाबाद लगता है। इसमें नौ विधानसभाएं और 600 से अधिक गांव है। ऐसे में कांग्रेस का प्रत्याशी कैसे सभी तक अपनी पहुंच बना पाएगा। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर लगातार लोगो से जनसंपर्क बनाए हुए है। आए दिन भारतीय जनता पार्टी का कुनबा बढ़ता ही दिख रहा है। पूर्व में एमएलए रहे चंदर भाटिया की बात हो या फिर कुलदीप उर्फ भप्पा की बात हो बहुत लोग भाजपा का दामन थाम रहे है। साफ तौर पर कहे तो जितने दिन कांग्रेस टिकट देने में देरी कर रही है। भाजपा मजबूत होती जा रही है। वैसे भी बात करें तो भाजपा के पास मजबूत संगठन है। इसके बावजूद भी सुपर CM (मनोहर लाल) और शैडो CM (नायब सिंह सैनी) भी यहां पर छह बार अपना कार्यक्रम कर चुके है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे प्रत्याशी घोषणा में देरी हो रही है, चुनाव एक तरफा होता जा रहा है। खैर कबीर को क्या कबीर तो यही कहेगा कि लोगों में जो चर्चा चल रही है। वह कहीं ना कहीं जमीन पर भी दिखाई दे रही है। चक्रधर अपना चक्र लेकर पूरी लोकसभा में चक्कर लगा रहे हैं। वहीं कांग्रेस अपने पुत्र मोह में फंसी हुई है।