मधुमेह की समस्या से जूझ रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ब्लड शुगर नियंंत्रण में रहे इसके लिए फिलहाल कुछ दिनों तक उन्हें इंसुलिन की लो डोज देने का फैसला चिकित्सकों ने किया है। सोमवार शाम से डोज दिए जाने की शुरुआत कर दी गई है। एम्स के चिकित्सकों के परामर्श पर उन्हें दिन में दो बार इंसुलिन की लो डोज (दो यूनिट) दिया जा रहा है। दोनों बार यह डोज खाने (लंच व डिनर) से पहले (प्री मिल) दिया जा रहा है। इस बीच दिन में करीब पांच बार उनका ब्लड शुगर जांचा जाएगा, ताकि यह पता चल सके कि इंसुलिन का कितना असर हो रहा है। करीब पांच दिनों तक किए गए जांच के नतीजों के आधार पर चिकित्सक यह तय करेंगे कि इंसुलिन देने का सिलसिला जारी रखा जाए या फिर इसे बंद कर दिया जाए। यदि जारी रखा जाए तो मात्रा कितनी होगी।
एम्स के चिकित्सकों ने स्वास्थ्य पर की चर्चा
जेल सूत्रों के अनुसार मधुमेह व इंसुलिन की जरूरत पर चर्चा के लिए एम्स के चिकित्सकों के साथ मुख्यमंत्री ने मंगलवार को चर्चा की। इस दौरान जेल अस्पताल के चिकित्सक भी मौजूद रहे। चर्चा के दौरान उनके ब्लड शुगर जांच के नतीजों को चिकित्सकों के समक्ष रखा गया। चिकित्सकों ने उन्हें अपने खानपान पर ध्यान देने की सलाह दी। इससे पहले भी मुख्यमंत्री एक बार एम्स के चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्य विशेषकर मधुमेह नियंत्रण को लेकर चर्चा कर चुके हैं।
इंसुलिन उपलब्ध नहीं कराने का आरोप
मुख्यमंत्री को जेल में जरुरत के बाद भी इंसुलिन नहीं दिए जाने को लेकर आप कार्यकर्ताओं ने रविवार को जेल के बाहर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन में शामिल दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने जेल प्रशासन पर आरोप लगाया था कि तिहाड़ जेल प्रशासन मुख्यमंत्री को इंसुलिन नहीं दे रहा है, जबकि उनका शुगर लेवल लगातार बढ़ रहा है।
शुगर लेवल बिना इंसुलिन के नियंत्रण में नहीं आ सकता है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण पर जेल प्रशासन, एलजी व भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए साजिश रचने का आरोप लगाया था। प्रदर्शन के दौरान आप कार्यकर्ता अपने हाथों में इंसुलिन लेकर पहुंचे और जेलकर्मियों से कहा कि यह इंसुलिन मुख्यमंत्री के लिए वे लेकर आए हैं, लेकिन जेलकर्मियों ने इसे लेने से इंकार कर दिया। प्रदर्शन के दौरान आप नेताओं ने अरविंद केजरीवाल काे इंसुलिन दो और अरविंद केजरीवाल की जान से खिलवाड़ मत करो लिखे होर्डिंग्स भी अपने हाथों में ले रखे थे। आप कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन व तमाम तरह के आरोपों पर जेल अधिकारी बताते हैं कि जेल में डायबिटीज के करीब एक हजार मरीज हैं।
इनमें से किसी भी मरीज ने इस तरह की कोई शिकायत नहीं की है। चिकित्सीय परामर्श के आधार पर हर मरीज के लिए समुचित स्वास्थ्य का इंतजाम होता है। जेल का अपना स्वास्थ्य तंत्र है, जिन कैदियों को किसी अन्य अस्पताल में भेजने की जरूरत समझी जाती है, उसे बाहर भेजकर उपचार दिया जाता है। कोई कैदी जिसे डायबिटीज है और उसके उपचार के लिए इंसुलिन की जरूरत है तो हमलोग उसका भी इंतजाम करते हैं। यदि कोई कैदी अपने लिए विशेष व्यवस्था की मांग करेगा तो यहां दिक्कत शुरू होती है। जेल में किसी के साथ भेदभाव नहीं होता है यहां सभी एकसमान हैं। यदि किसी कैदी के लिए अलग व्यवस्था का निर्देश कोर्ट दे तो ऐसा किया जाता है।
दवा से जब न बने बात, तब दी जाती है इंसुलिन
डायबिटीज दो तरह की होती है। डायबिटीज टाइप-एक में पैंक्रियाज से इंसुलिन नहीं बन पाती। इसलिए डायबिटीज टाइप-एक से पीड़ित मरीज इंसुलिन पर ही निर्भर रहते हैं। बच्चों व युवाओं में यह बीमारी अधिक देखी जाती है। डायबिटीज टाइप-2 में शुरुआत में दवा से ही इलाज होता है।
डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित मरीजों को इंसुलिन तब दी जाती है जब शुगर दवा से नियंत्रित न हो और शुगर अधिक हो। इसलिए डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित मरीजों को इंसुलिन हमेशा के लिए स्थायी तौर पर नहीं दी जाती है। यह कुछ समय के लिए दी जाती है। शुगर नियंत्रित होने के बाद दवा दी जाती है। सिंगल डोज इंसुलिन में 80 यूनिट तक इंसुलिन दी जाती है। यह मरीज की स्थिति को देखकर तय किया जाता है। सिंगल डोज इंसुलिन से 20 से 30 घंटे शुगर नियंत्रित रहता है। यदि सिंगल डोज से बात नहीं बनती है तब मरीज को डबल डोज, तीन डोज या चार डोज इंसुलिन दी जाती है।
– डॉ. अंबरीश मित्तल, चेयरमैन व प्रमुख, इंडोक्रिनोलाजी व डायबिटीज विभाग, मैक्स अस्पताल
NEWS SOURCE : jagran