चंडीगढ़: राजनीति भी क्या बड़ी चीज है, घटना चक्र घूमता है और समय उसे घूमांता है। हरियाणा की राजनीति के चौथे लाल मनोहर लाल के झंडे के नीचे हरियाणा गठन के बाद लंबा समय तक राज करने वाले तीन प्रमुख लालों देवीलाल, बंसीलाल वा भजनलाल जिनके इर्द-गिर्द किसी जमाने में सट्टा घूमा करता था। आज इन परिवारों के लाल अपना राजनीति भविष्य तराशने के लिए अपने बुजुर्गों की राजनीतिक विरासत को छोड़कर नए-नए प्रयोग करने पर लगे हुए हैं।
इस वजह से दिया इस्तीफा
पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल की पुत्रवधु व भिवानी के तोशाम से MLA किरण चौधरी और उनकी बेटी ने कांग्रेस छोड़ दी है। किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी पूर्व सांसद हैं, 2024 लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से टिकट की प्रमुख दावेदार मानी जा रहीं श्रुति को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था। जिसके कारण नाराज मां-बेटी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। हरियाणा की राजनीति के अंदर अगर देखा जाए तो कोई जमाना था। जब बंसीलाल, भजनलाल या देवीलाल के बिना राजनीति में पता नहीं हिलता था। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के अंदर हरियाणा में 2014 में भाजपा सरकार पहली बार सत्ता में अपने दम पर आई तथा उस वक्त हरियाणा की राजनीति का केंद्र विनोद केंद्र बिंदु बने चौथे लाल मनोहर लाल जिन्हें हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया था।
मुख्यमंत्री के रूप में मनोहर लाल ने हरियाणा की राजनीति के एचडी कहे जाने वाले भजनलाल के परिवार के लाल कुलदीप बिश्नोई तथा पोते भव्य बिश्नोई को भाजपा में शामिल करवाया। देश की राजनीति में उप प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे अपने नाम व अपने दम पर राजनीति करने वाले चौधरी देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह को 2024 के अंदर हुए लोकसभा चुनाव से पहले विधिवत रूप से भाजपा का सदस्य बनाया तथा उन्हें हिसार लोकसभा से चुनाव लड़वाया। इससे पहले 2019 से 2024 तक मनोहर पार्ट-2 की सरकार के अंदर जेजेपी पार्टनर रही। जेजेपी की कमान चौधरी देवीलाल के पोते अजय सिंह चौटाला तथा प्रपोते दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय सिंह चौटाला के हाथ रही। दुष्यंत चौटाला गठबंधन की सरकार में डिप्टी चीफ मिनिस्टर के रूप में 4:30 साल तक बन रहे। हरियाणा की राजनीति के तीसरे बड़े लाल बंसीलाल जिन्हें हरियाणा में विकास पुरुष के नाम से भी जाना जाता है उनकी पुत्रवधू किरण चौधरी तथा उनकी पोती श्रुति चौधरी जो कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष रही। इन लोगों द्वारा भी कांग्रेस का परित्याग कर दिया गया तथा बुधवार को दिल्ली भाजपा मुख्यालय में भाजपा के अंदर शामिल होने का कार्यक्रम हरियाणा के मुख्यमंत्री के पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी के माध्यम से तय हो गया।
हरियाणा के अंदर बदलते राजनीतिक प्रवेश के अंदर लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को 5 सीटों को जीतने का मौका मिला हो। कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है। सिरसा से सांसद बनी कुमारी सैलजा के चुनाव परीक्षा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और यहां तक की हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान तक नहीं गए और ना ही कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक चुनावों में गए। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल जब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, तब भी उनका अंदाज राजनीतिक रूप से बोल को बाउंड्री पार्क जाने का था और वह अंदाज अभी कायम है। मनोहर लाल ने कांग्रेस के दर्जनों ऐसे बड़े चेहरों को लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ज्वाइन करवाई। इस सारे घटनाक्रम के अंदर अगर देखा जाए तो सबसे अहम भूमिका तरुण भंडारी ने निभाई, जिन्होंने मनोज लाल के हनुमान बन कर कांग्रेसियों को भाजपा में लाने का क्रम जारी रखा। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से नवीन जिंदल को चुनाव लड़वाने के लिए मनाने का काम भी तरुण भंडारी ने किया तथा उन्हें भाजपा ज्वाइन कराई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर को भी भाजपा में तरुण भंडारी मनोहर लाल के नेतृत्व में लेकर आए।
तरुण भंडारी ने जहां अपनी कार्य की क्षमता तथा राजनीतिक कौशल का सार्थकता से परिचय दिया। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री रहते हुए मनोहर लाल ने उन पर जो विश्वास किया उसे पर वह खड़े उतरे। उन्होंने हिमाचल कांग्रेस के 6 तथा निर्दलीय तीन विधायकों से हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान करवाया। हरियाणा की राजनीति में बंसीलाल भजनलाल व देवीलाल तीनों ऐसे बड़े नाम रहे हैं, जिनके इर्द-गिर्द राजनीति को जानने, समझने वाले या राजनीति में एंट्री करने वाले इच्छुक घूमा करते थे। इन तीनों लालों को हरियाणा की राजनीति की नर्सरी कहा जाता था। बदले प्रवेश के अंदर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने अब लोगों की धारणा बदल दी है तथा यह हरियाणा की राजनीति के ध्रुवीकरण रहे तीनों लाल बंसीलाल, भजनलाल तथा देवीलाल के लाल भाजपा के झंडे के नीचे रंग चुके हैं।
NEWS SOURCE : punjabkesari