हरियाणा में पांच बार सत्ता में रह चुकी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) पार्टी भी लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में है। प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर ताल ठोंकी जाएगी अथवा कुछ विशेष सीटों पर फोकस करना होगा, इसका फैसला आठ मार्च को जींद में होने वाली बैठक में होगा, लेकिन फिलहाल कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के आधार पर इनेलो राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर ताल ठोंकने को तैयार दिखाई पड़ रही है।
क्या अभय चौटाला भी लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय चौटाला के भी लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। अभय चौटाला ने साल 2004 में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन तब कांग्रेस के नवीन जिंदल चुनाव जीत गए थे। उसके बाद साल 2019 में अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से ताल ठोंकी थी।
इनेलो की सबसे मजबूत दावेदारी कुरुक्षेत्र, सिरसा और हिसार
हालांकि तब कांग्रेस के निर्मल चौधरी और इनेलो के अर्जुन चौटाला को पराजित कर भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी चुनाव जीत गए थे, लेकिन अभय सिंह चौटाला व अर्जुन चौटाला के लगातार कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर ताल ठोंकते रहने से इस सीट पर इनेलो की पकड़ काफी मजबूत हुई है। कुरुक्षेत्र में इनेलो के टिकट पर मौजूदा भाजपा नेता कैलाशो सैनी भी सांसद रह चुकी हैं। इनेलो की सबसे मजबूत दावेदारी कुरुक्षेत्र के साथ-साथ सिरसा और हिसार लोकसभा सीटों पर भी है।
ताऊ देवीलाल के परिवार के सदस्यों के दावे प्रतिदावे बदलते रहे हैं
हिसार से इनेलो के टिकट पर जेजेपी नेता एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला सांसद रह चुके हैं, जबकि भिवानी-महेंद्रगढ़ में भी डा. अजय सिंह चौटाला इनेलो के टिकट पर लड़कर लोकसभा में पहुंच चुके हैं। सिरसा से इनेलो के सांसद चुनाव जीतते रहे हैं, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला व अभय सिंह चौटाला का राजनीतिक गढ़ माना जाता है। हालांकि सिरसा ताऊ देवीलाल के परिवार का घर है। समय-समय पर इस घर को लेकर ताऊ देवीलाल के परिवार के सदस्यों के दावे-प्रतिदावे बदलते रहते हैं।
2019 में इनेलो को मिले दो प्रतिशत वोट
साल 2009 में इनेलो की लोकसभा में कोई सीट नहीं आई थी, जबकि उस समय इनेलो ने 15.8 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। इसी तरह, 2014 में इनेलो की दो सीटें आइ थी, हिसार और सिरसा, जिनके बलबूते पर पार्टी ने 24.4 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। इसके बाद इनेलो में बिखराव हो गया। अधिकतर वोट जेजेपी के पक्ष में कट गए, जिसका नुकसान यह हुआ कि 2019 में इनेलो को सिर्फ दो प्रतिशत वोट मिले। इसके बाद भी अभय सिंह चौटाला का हौसला कम नहीं हुआ है और वह लगातार पूरे दम खम के साथ आगे बढ़ने में लगे हुए हैं।
ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत पर करते रहे हैं दावा
ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत के कई वारिस ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला के साथ उनके बड़े भाई अजय सिंह चौटाला व भतीजे दुष्यंत चौटाला, चाचा रणजीत सिंह चौटाला, डा. केवी सिंह, विधायक अमित सिहाग, रवि चौटाला और आदित्य देवीलाल चौटाला सब ताऊ देवीलाल के परिवार के सदस्य होने के नाते अलग-अलग पार्टियों में रहने के बावजूद ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत पर अपना दावा करते हैं। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने इस बार स्वयं लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। इस बारे में पूछने पर अभय सिंह ने सिर्फ इतना कहा कि जींद की बैठक में यदि पार्टी का आदेश हुआ तो वह भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। प्रदेश की तीन लोकसभा सीटों पर इनेलो का पूरा फोकस है, जबकि वह बाकी सात लोकसभा सीटों की भी किसी सूरत में अनदेखी नहीं करने वाली है।
NEWS SOURCE : jagran