ओडिशा और आंध्र प्रदेश में अपनी घोटियां सेट करने के बाद अब भाजपा का फोकस तामिल लैंड पर है। तमिलनाडु में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (ए.आई.ए.डी.एम.के.) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी द्वारा भाजपा के साथ फिर से न जुड़ने के ऐलान के बाद अब पार्टी ने अब अपनी रणनीति बदल ली है। भाजपा आखिरी दम तक अन्नाद्रमुक से दोबारा गठबंधन का प्रयास करती रही लेकिन स्थिति साफ होने के बाद उसने अब तमिलनाडु में नए सहयोगियों की तलाश तेज कर दी है। बताया जा रहा है कि अन्नाद्रमुक के बागी नेताओं पूर्व उप मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम (ओ.पी.एस.) और वी.के. शशिकला के भतीजे टी.टी.वी. दिनाकरन से संपर्क किया है।
एन.डी.ए. को मजबूत करने में जुटी भाजपा
सूत्रों का कहना है कि ए.आई.ए.डी.एम.के. द्वारा एन.डी.ए. में दोबारा न शामिल होने के निर्णय के बाद अब भाजपा ने अन्नाद्रमुक तक अपनी पहुंच बंद करने का फैसला किया है। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा का अब दृढ़ता से लक्ष्य है कि तमिलनाडु में ए.आई.ए.डी.एम.के. के बिना एन.डी.ए. गठबंधन को मजबूत किया जाए। एक एक आर.एस.एस. नेता ने यह भी पुष्टि की है कि भाजपा ने बागी नेताओं ओ. पन्नीरसेल्वम (ओ.पी.एस.) और टी.टी.वी. दिनाकरन से गठबंधन को लेकर बातचीत शुरु कर दी है।
हाशिए पर थे दोनों बागी नेता
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अन्नाद्रमुक के बागी नेताओं के ये दोनों नेता अपनी राजनीतिक भविष्य को पुनर्जीवित करने के लिए पहले से ही भाजपा के आह्वान का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। चूंकि दोनों नेता राज्य की मुख्यधारा की राजनीति से हाशिए पर चले गए थे। पिछले कई दिनों से ओ.पी.एस. अपने गृहनगर थेनी में हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री ओ.पी.एस. के करीबियों की मानें तो वह फिर से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के संदेश में ओ.पी.एस. और दिनाकरण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22 मार्च को प्रस्तावित उनकी अगली तमिलनाडु यात्रा के दौरान उनके साथ मंच पर आने की पेशकश का संकेत दिया गया है।
शशिकला निभा सकती हैं अहम भूमिका
पूर्व सीएम जयललिता की सहयोगी वी.के. शशिकला के भतीजे दिनाकरण की राजनीतिक यात्रा उथल-पुथल और असफलताओं से भरी रही है, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों की चुनौतियां भी शामिल हैं। जबकि यह भाजपा ही थी जिसने शशिकला के परिवार की राजनीतिक संभावनाओं को खत्म कर दिया था।
भले ही वी.के. शशिकला सजा और कारावास के चलते इस बार का विधानसभा चुनाव तथा अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकतीं लेकिन एक प्रभावी नेता के तौर पर पर्दे के पीछे की राजनीति एवं राजनीतिक घटनाओं में उनके प्रभाव को कोई नहीं रोक सकता। दिनाकरन के समर्थकों को उम्मीद है कि शशिकला लोकसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण, अप्रत्यक्ष रूप से, भूमिका निभाएंगी। ऐसा माना जा रहा है कि एन.डी.ए. में सीट बंटवारे की बातचीत शुरू होने के साथ ओ.पी.एस. और दिनाकरण को कुल चार से पांच सीटें मिलने की उम्मीद है।
2021 भाजपा जीत चुकी है 4 विधानसभा सीटें
तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं। दक्षिण भारत में सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य में पिछली बार यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पर कमल नहीं खिल सका था। 2019 में भाजपा ने तमिलनाडु की पांच लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी को कुल मिलाकर 15 लाख 51 हजार 924 वोट मिले थे। करीब 3.7 फीसदी वोट पाने के बावजूद भाजपा शून्य सीटों पर सिमट गई थी, लेकिन साल 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में पार्टी चार सीटें जीतकर विधानसभा के भीतर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में सफल जरूर रही। यह भी एक तथ्य है कि तब भाजपा का एक स्थानीय पार्टी ए.आई.ए.डी.एम.के. के साथ गठबंधन था।
NEWS SOURCE : punjabkesari