चंडीगढ़: हरियाणा की राजनीति में चौधरी बंसीलाल को किसी परिचय की जरुरत नहीं है। भिवानी-महेंद्रगढ़ हमेशा ही बंसीलाल परिवार का गढ़ रहा है, लेकिन अब करीब 34 साल बाद पहला मौका होगा जब बंसीलाल परिवार का कोई सदस्य लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहा है। भिवानी जिले की पहचान हरियाणा के निर्माता व विकास पुरुष कहे जाने वाले पूर्व सीएम बंसीलाल से है। भिवानी हरियाणा की राजनैतिक राजधानी इसलिए कहलाया, क्योंकि चौधरी बंसीलाल ने हरियाणा की राजनीति में अपना वार्चस्व रखा। इसी प्रकार से सिरसा को चौधरी देवीलाल के कारण व हिसार को भजनलाल के कारण, रोहतक को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कारण राजनैतिक राजधानी के दर्जे समय-समय पर मिलते रहे।
इस बार कांग्रेस ने भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से पूर्व सीएम बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी की टिकट काट दिया है। वहीं भाजपा में शामिल होने के बाद 26 साल बाद भजन लाल परिवार भी चुनाव मैदान से बाहर है। इस बार कुलदीप बिश्नोई को हिसार लोकसभा से टिकट नहीं मिला है। हरियाणा के अंदर कांग्रेस की गुटबाजी किसी से छीपी नहीं है। बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी, हुड्डा विरोधी राजनीति में एसआरके ग्रुप का प्रमुख स्तंभ है। श्रुति चौधरी को हरियाणा कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया हुआ है। मगर श्रुति चौधरी को भिवानी से टिकट ना मिला। किरण चौधरी की राजनीति को करारे झटके से कम नहीं है।
बंसीलाल परिवार की बात करें तो खुद चौधरी बंसीलाल तीन बार 1980, 1984 और 1989 में लोकसभा सदस्य बने। इसके बाद उनके पुत्र चौ. सुरेंद्र सिंह दो बार 1996 व 1998 में लोकसभा सदस्य रहे और फिर उनकी पोती श्रुति चौधरी एक बार 2009 में सांसद बनीं। मुख्य पार्टियों की बात करें तो भाजपा ने हिसार से रणजीत चौटाला तो कांग्रेस ने जय प्रकाश को टिकट दिया है। वहीं जेजेपी से नैना चौटाला तो इनेलो ने हिसार से सुनैना चौटाला को टिकट दिया है।
NEWS SOURCE : punjabkesari