हिसारजिले के हांसी क्षेत्र के एक छोटे से गांव ढाणा खुर्द में जन्मी लाडली निशा का चयन बीएआरसी भामाशाह एटामिक रिसर्च सेंटर मुंबई में हो गया। निशा और उसके परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उनकी लाडली वैज्ञानिक बनेगी। हांसी सहित पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई जब ढाणा खुर्द की बेटी निशा का चयन बीएआरसी भामाशाह एटामिक रिसर्च सेंटर मुंबई में हुआ है। मूल रूप से हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्मी बेटी निशा को खुद को अंदाजा नहीं था कि वह वैज्ञानिक बनेगी। वह एक शिक्षक बनना चाहती थी, लेकिन अब पूरी मानव जाति और प्रकृति को एटामिक एनर्जी से होने वाले दुष्परिणाम और फायदों के बारे में शोध कर अपना जीवन मानवता को समर्पित करेगी। निशा ने बताया कि गांव ढाणा खुर्द तहसील हांसी में फैमिली में मम्मी पापा और एक छोटा भाई है जो कालेज शिक्षा ग्रहण कर रहा है।
गांव के स्कूल से की पढ़ाई
निशा ने बताया कि दसवीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में की उसके बाद 12वीं कक्षा में पास के ही गांव सिकंदरपुर से पूरी की,उसके बाद एसडी महिला महाविद्यालय हांसी से बीएससी की।गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी एमएससी केमिस्ट्री में दाखिला ले लिया एमएससी के बाद सीएसआईआर नेट जेआरएफ के लिए तैयारी की साथ में बीईडी में भी एडमिशन ले लिया था नेट की कोचिंग ऑनलाइन ही घर पर बैठकर पढ़ती थी। फरवरी 2023 में मुझे यूट्यूब के माध्यम से बर्क साइंटिफिक आफिसर की वैकेंसी के बारे में पता चला मैंने सोचा कि नेट की पढ़ाई तो कर ही रखी है इसमें भी अप्लाई कर देती हूं, और आखिर में उसने बीएआरसी का एग्जाम क्वालीफाई कर दिया ।
घर बैठ की पढ़ाई
इंटरनेट के सहारे उसने केमिस्ट्री अप से कोचिंग ली। इसके साथ गुजवि के प्रोफेसर डा. सीपी कौशिक ने मेरी पूरी हेल्प और मार्गदर्शन किया इसके साथ ही बीएआरसी में साइंटिस्ट के पद पर कार्यरत सुनील सेवटा ने भी इंटरव्यू के लिए मेरा मार्गदर्शन किया ।
पिता फौजी, मां गृहणी
निशा ने बताया कि उसके पिता है जयभगवान सूरत सिंह सीआरपीएफ में फौजी है फिलहाल झारखंड में तैनात है और मम्मी सविता गृहणी है। हमेशा ही मम्मी पापा का सहयोग से मिला उसको मम्मी पापा ने बोल रखा था कि पूरा फोकस पढ़ाई पर करो घर का काम मुझे बिल्कुल भी नहीं करने दिया मम्मी की कैसे भी हालत हो लेकिन मुझे पढ़ाई पर फोकस करने के लिए ही हमेशा कहती। बीएआरसी में एटामिक एनर्जी से संबंधित रिसर्च क्षेत्र रहेगा। एटामिक एनर्जी से मानव जाति को कैसे लाभ पहुंचे और उसके दुष्परिणामों से कैसे मानव जाति को बचाया जा सके इस संबंध उसका पूरा रिसर्च क्षेत्र रहेगा।
NEWS SOURCE : punjabkesari